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तूफान की तबाही मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग 06 लेखनी कहानी -10-Jul-2022

   अब सविता अपनी बेटी की शादी की तैयारी में लग गयी थी हबसे पहले सविता ने अपनी बेटी रुदाली को घर पहुँच कर पूछा," देख रुदाली बैसे तो रमन में मुझे कोई कमी  नजर नही दिखाई पडी़ क्यौकि मैने उसको बहुत नजदीक से देखा है। हमारे पूरे स्टाफ में वह  किसी से अधिक नहीं मिलता है। वह केवल अपने काम से मतलब रखता है।  फिरभी तुझे उसमें कोई कमी नजर आरही हो अथवा पसन्द नही हो तो मुझे अब बतादेना मै अभी बात को यही बन्द करदूँगी मुझे तेरी पसन्द पहले देखनी है ।"

        यह सब सुनकर रुदाली बोली,"  आप कैसी बात करती हो। आप मेरी माँ हो दुश्मन नहीं हो मुझसे अधिक आप इस जमाने को पहचानती हो। आपने उसको बहुत ही नजदीक से देखा है जितना आप समझ सकती हो मै कैसे कर सकती हूँ।"

   सविता बोली," नही रुदाली तुम दौनौ ने बात की थी उसकी कोई बात तुझे अच्छी न लगी हो। अथवा तुझे उसकी  कोई आदत पसन्द न आई हो। रुदाली इसमे शर्म करने जैसा कुछ नही है शादी पूरे जीवन का साथ निभाने का एक पवित्र बन्धन है यह कोई खिलौना नही है कि यह पसन्द नही आया तो बदलकर दूसरा लेलेंगें। एक बार लिया गया निर्णय जीवन पर्यन्त निभाना होता है।"

     रुदाली ने जबाब देते हुए कहा," मम्मा मै समझ गयी। आप अपनी जगह ठीक हो बस मेरी समझ में तो यह नही आरहा पापा के बिना मै कैसे यह सब कर सकूँगी। हे भगवान मेरे पापा को कहीं से लेआओ। "


        इतना कहकर रुदाली रोने लगी। सविता उसके आँसू पौछते हुए बोली ," रुदाली अब रोने से कोई हल नही निकलने वाला।  हम दोनौ उनके बिना इतने दिनौ से जीवित भी है और सब काम भी पूरे कर रहे है भूख लगती है तब खाना भी खाते है। कोई काम बन्द नही हुआ। मैने तो सब ऊपरवाले पर छोड़ दिया है उसकी जो मरजी होगी वह बैसा ही करेगा।  उसकी मरजी से ही हमारे जीवन में तूफान आया था । "

       रुदाली बोली," माँ क्या करूँ मै अपने दिल को बहुत समझाती हूँ परन्तु जब पापा की याद आती है तब मै  अपने को रोक नहीं पाती हूँ। और यह आँसू निकल आते है।

             "  वह तो ठीक है बेटी उस ऊपरवाले की मर्जी के आगे किसी की नही चलती है वह फल भर मे ही कुछ से कुछ करदेता है। मनुष्य सोचता कुछ है और होजाता कुछ और है।" सविता अपनी बेटी को समझाते हुए बोली।

       
        जबसे रमन की माँ को सविता के बिषय में पूरी जानकारी हुई कि किस तरह  तूफान और बाढ़ मे  उनका पति लौट कर नहीं आया और सविता ने किस तरह अपनी बेटी को पालकर बडा़ किया है तबसे उन्हौने केवल उनकी बेटी को  बहुत ही साधारण तरीके से लाने की सोची थी। 

       और रमन की माँ मंजू ने सविता से शादी के बिषय मे बात करने के लिए उनसे उनके घर पर मिलने की इच्छा प्रकट की थी। सविता ने हाँ कहदी और उन्हौने अगले रविवार के दिन मिलने का समय ले लिया।

      मंजू के इस फौन से सविता की चिन्ता बढ़ गयी क्यौ कि उनको यह डर सता रहा था कि कहीं वह दहेज की मांग बताने तो नही आरही है।  

       अपनी माँ को परेशान देखकर रुदाली ने अपनी माँ से पूछा," माँ अब क्या हुआ जो तुम इतनी परेशान व चिन्तित नजर आरही हो क्या किसी ने कुछ कहा है ? "

     अपनी बेटी की बात सुनकर वह बोली," बेटी रविवार को तेरी सास शादी के बिषय में कुछ जरूरी बात करने आर रही है। मुझे यही चिन्ता होरही है कि बहुत मुश्किल से बात बनी है वह कही दहेज की माँग न करने लगे। 

         रुदाली बोली," देखो माँ यदि उन्हौने दहेज की कोई माँग रखी तो मै यह शादी कभी नही करूँगी यह मेरा निर्णय है। आप कुछ नही बोलोगी।  मुझे जो दहेज माँगेंगे उनके घर की बहू कभी भी नहीं बनना है।"

                    सविता अपनी बेटी को शान्त रहने के लिए बोली और उसे समझाने लगी ," देख रुदाली यदि उनकी कोई जायज माँग होगी तो मै उसे पूरा करने की कोशिश करूँगी। यदि वह नाजायज मांग करैगी तब मै भी हाथ जोड़कर उनसे माँफी मांग लूंगी। तू चिन्ता क्यौ कर रही है। "

     इतना कहकर सविता रविवार आने की प्रतीक्षा करने लगी।

                            क्रमशः  
नोट :- आगे की कहानी भाग 7 में पढि़ए।

मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचौरी"

25/07/२०२२



        


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11 Comments

Abhinav ji

31-Jul-2022 09:17 AM

Nice

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Saba Rahman

26-Jul-2022 11:58 PM

Osm

Reply

Khan

26-Jul-2022 11:07 PM

😊😊

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